Tree Plantation on Occasion of Birthday of Yashwant Bhardwaj

भाई Yashwant Bhardwaj के जन्मदिन के शुभ दिन पर बड़, नीम और पीपल (त्रिवेणी) के पौधे रोपित किया, और कहा कि त्रिवेणी लगाना संसार का सबसे श्रेष्ठतम कार्य है।त्रिवेणी हमे संस्कृति से जुड़ने का संदेश देती हैं |त्रिवेणी हमे आध्यात्मिकता से जोड़ती हैं |ये तीन पेड़ (बड़, नीम , पीपल) जब त्रिक्रोण आकार में लगाते हैं। थोड़ा बढ़ने पर (6 या 7 फुट) इनको आपस में मिला देते हैं। जब इनका संगम हो जाता हैं तो ही यह त्रिवेणी कहलाती है। त्रिवेणी को खुले एवं सार्वजनिक स्थानों पर ही लगाया जाता है। त्रिवेणी एक साधारण वृक्ष ना होकर इसका आध्यात्मिक महत्व है।

आध्यात्मिक क्यों?

त्रिवेणी में ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का वास माना गया है। त्रिवेणी को लगाने, लगवाने या किसी भी तरह इसकी सेवा करने से समस्त देवता एवं पितृ स्वत: ही पूजित हो जाते हैं।

जैसा की आप सभी को विदित है कि हमारे यहाँ जब भी कोई मांगलिक कारज करते हैं तो यज्ञ का आयोजन किया जाता है ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सके और समस्त वातावरण शुद्ध हो जाए। इसी भाँति त्रिवेणी को शास्त्रों में स्थायी यज्ञ की संज्ञा दी गयी है, जहाँ भी त्रिवेणी लगी होती है वहां हर पल हर क्षण सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बहता है। नज़ला, ज़ुकाम, छींकों से पीड़ित व्यक्ति यदि इसके नीचे बैठकर श्वास क्रिया (अनुलोम – विलोम, प्राणायाम) करता है तो दमा तक भी ठीक हो जाता है। तपस्वियों की तपस्थली है यह त्रिवेणी। इसमें समस्त देवी देवताओं और पितरों का वास माना जाता है।हर वो इंसान जो श्रद्धा भाव से, आध्यात्मिक भाव से त्रिवेणी लगाता है या लगवाता है या इसका पालन पोषण करता है उसका कोई भी सात्विक कर्म विफल नहीं होता है।

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Published by RISE Foundation

NGO Working in Waste Managament, Environmrnt Protection and Women Empowerment

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